Swayam Se Parichay

यह पुरातन ही नहीं आधुनिक भी है, छंदिक भी है तो मुक्त भी, आदर्शवादी भी है तो रहस्यमय भी, प्रयोगवादी भी है तो आध्यात्मिक भी | यह हृदय और मन को ही संतुष्ट नहीं करता, बल्कि कहीं उन गहराईयों को भी छू लेता है जिन्हें हम आत्मिक या चैत्य पौरुषिक कह सकते हैं। इसमें एक नए पद्य का उद्घोष है जिसमे गूढ़तम बातें हास्य के हल्केपन और सखा भाव की सरलता से कही गई हैं।

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