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अरविन्द चतुर्वेदी वरिष्ठ पत्रकार हैं। विंध्याचल धाम के लिए प्रसिद्ध मिर्ज़ापुर जिले में जन्म लेने वाले अरविंद का शुरुआती समय विश्वनाथ की नगरी काशी की गलियों में बीता। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ सोशियोलॉजी की डिग्री हासिल करने के बाद अरविंद ने पत्रकारिता को अपना लिया दिल्ली पहुंचे। कई बड़े न्यूज चैनलों में काम कर चुके अरविंद इन दिनों एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल में काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्रित “द रियल मोदी” उनकी पहली प्रकाशित पुस्तक है, जिसे अंतरराष्ट्रीय प्रकाशक ब्लूम्सबरी ने प्रकाशित किया। “द रियल मोदी” अब तक तीन भाषाओं – हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती में प्रकाशित हो चुकी है। यह पुस्तक पूरे देश और दुनिया में बेस्ट सेलर रही। इस पुस्तक ने लेखक को अलग पहचान दी। हमेशा कुछ हटकर करने वाले अरविन्द की नरेंद्र मोदी पर लिखी यह दूसरी किताब है।

Arvind Chaturvedi

अरविन्द चतुर्वेदी वरिष्ठ पत्रकार हैं। विंध्याचल धाम के लिए प्रसिद्ध मिर्ज़ापुर जिले में जन्म लेने वाले अरविंद का शुरुआती समय विश्वनाथ की नगरी काशी की गलियों में बीता। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ सोशियोलॉजी की डिग्री हासिल करने के बाद अरविंद ने पत्रकारिता को अपना लिया दिल्ली पहुंचे। कई बड़े न्यूज चैनलों में काम कर चुके अरविंद इन दिनों एक प्रतिष्ठित न्यूज चैनल में काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्रित "द रियल मोदी" उनकी पहली प्रकाशित पुस्तक है, जिसे अंतरराष्ट्रीय प्रकाशक ब्लूम्सबरी ने प्रकाशित किया। "द रियल मोदी" अब तक तीन भाषाओं - हिंदी, अंग्रेजी और गुजराती में प्रकाशित हो चुकी है। यह पुस्तक पूरे देश और दुनिया में बेस्ट सेलर रही। इस पुस्तक ने लेखक को अलग पहचान दी। हमेशा कुछ हटकर करने वाले अरविन्द की नरेंद्र मोदी पर लिखी यह दूसरी किताब है।

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मोदी का बनारस

मोदी का बनारस -यह सिर्फ़ पुस्तक नहीं यात्रा है। गंगा यहाँ की जीवनरेखा है। गंगा, बाबा विश्वनाथ के बिना इस नगरी की कल्पना अधूरी है। नरेन्द्र मोदी का बनारस से चुनाव लड़ना राजनीति की असाधारण घटना है। बनारस का सामर्थ्य, कर्तव्य को पूरी दुनिया ने देखा है। अगर सोच लिया जाए, ठान लिया जाए, तो कुछ भी असंभव नहीं है। नरेन्द्र मोदी ने बनारस में अपने तप से चुनाव तो जीता ही, साथ ही बनारस में अपने ख़िलाफ़ की जाने वाले दूसरी पार्टी नेताओं की साज़िशो को भी विफल कर दिया। देखते ही देखते मोदी ने अपने जीत का परचम बिहार, झारखंड, बंगाल तक फहरा दिया। मोदी की जीत एवं बनारस को लेकर लिए गए फ़ैसलों की कहानी है यह पुस्तक, जिसे हमेशा याद रखा जाएगा। यह पुस्तक आपको यह भी बताएगी कि बनारस से जीत की पटकथा कैसे लिखी गई, उसकी रूपरेखा किसने तैयार की थी। अमित शाह ने वर्ष 2010 में बनारस में क्या संकल्प लिया था। जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने ना दिन देखा ना रात। यूपी और बनारस का चुनाव जीतने के लिए अमित शाह ने राजनाथ सिंह से ऐसा क्या वचन लिया था, जिसे लेकर सबके बीच में उन्होंने कह दिया कि मैं होता तो यह वचन कभी नहीं देता। नरेंद्र मोदी ने कोविड काल के समय को ही बाबा विश्वनाथ मंदिर के कायाकल्प के लिए क्यों चुना। क्या आप को पता है कि बाबा विश्वनाथ मंदिर के लिए जमीन एकत्र करने के क्रम में जमीनों की सभी रजिस्ट्री एक विशेष समय में की गई थी। आखिर क्यों? क्या आप यह जानते हैं कि बनारस के विश्वनाथ मंदिर में कितना सोना लगा है? एक आश्रम का तिलिस्म जिसकी जमीन को खाली करवाने में एक साल लग गया। आखिर कैसे खाली हुई वह जमीन। कैसे पीएम मोदी ने आर्किटेक्ट के पहले बने नक्शे को खारिज कर दिया था। क्योटो में ऐसा क्या है जो उसे बनारस से जोड़ देता है। मोदी ने जापान के शहर क्योटो को ही क्यों चुना? बनारस का ऐसा घाट जहां पर आप हेलीकॉप्टर से पहुंच सकते हैं। फ़्रांस के राष्ट्रपति ने बनारस में ऐसा क्या पूछ लिया, जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा होने लगी। इन सब सवालों और जिज्ञासाओं का उत्तर आप को इस पुस्तक मोदी के बनारस में ही मिलेगा।