प्रतीक्षा शिव की ज्ञान वापी काशी के सत्य का उद्घाटन

दुनिया में कुछ ही ऐसी जगहें हैं जो इतनी सहजता से इतिहास का भार वहन कर पाती हैं, जितना काशी या वाराणसी ने किया है। यह पवित्र शहर हमारी सभ्यता की आत्मा का प्रतीक है और उस लचीलेपन का प्रतीक है जो हमने सदियों से कई प्रतिकूलताओं और घातक हमलों का सामना करते हुए प्रदर्शित किया है।

 

‘प्रतीक्षा शिव की: ज्ञान वापी काशी के सत्य का उद्घाटन’ विश्वेश्वर या विश्वनाथ रूपी भगवान शिव की निवास स्थली के रूप में काशी के इतिहास, प्राचीनता और पवित्रता को पुनः प्रस्तुत करती है। शिव ने स्वयं अपने भक्तों को आश्वासन दिया था कि यदि वे अपनी नश्वर कुण्डली का इस शहर में करेंगे तो उन्हें मोक्ष प्राप्त होगा। यह पुस्तक विश्वेश्वर के इस स्वयं-प्रकट स्वयंभू ज्योतिर्लिंग मंदिर के इतिहास पर प्रकाश डालती है, जो सदियों से भक्तों के लिए शरणस्थली भी रही है और मूर्तिभंजन की रक्तरंजित लहरों का लक्ष्यभी रही है। हालाँकि, जब भी मंदिर को ध्वस्तकर उसे नष्ट करने का प्रयास किया गया, यह और भी तीव्र उत्थान तथा वैभव के साथ लोकजीवन के समक्ष प्रकट हुआ।

 

यह पुस्तक मंदिर के इतिहास में घटित इन प्रलयकारी घटनाओं का दस्तावेजीकरण करती है। मंदिर को अंतिम आघात 1669 में मुगल शासक औरंगज़ेब द्वारा दिया गया, जिसने मंदिर को खंडित कर, इसे मस्जिद कहे जाने के लिए आंशिक रूप से नष्ट हुई पश्चिमी दीवार पर कुछ गुंबद खड़े कर दिए। वह क्षेत्र जिसे अब ज्ञान वापी मस्जिद कहा जाता है और आसपास की भूमि जो कि विश्वनाथ के नए मंदिर के निकट स्थित है, 18वीं शताब्दी के अंत में बनी थी तथा यह हमेशा से तीव्र विवाद का विषय रही है। इस मुद्देको लेकर वाराणसी में पहले भी कई बार खूनी दंगे हो चुके हैं। औपनिवेशिक युग के दौरान, क़ब्ज़े के मुद्दे को निपटाने के लिए ब्रिटिश अदालतों के दरवाजे खटखटाए गए और उन्होंने कई बार इस मामले पर अपना निर्णय भी दिया। स्वतंत्रता के बाद भी, इस परिसर को ‘मुक्त’ कराने की इच्छा हिंदू मन-मानस में पनपती रही है। ऐसे में वाराणसी सिविल कोर्ट के समक्ष 2021 में दायर एक नए मुकदमे ने लंबे समय से चले आ रहे ऐतिहासिक घाव को फिर से हरा कर दिया। याचिका को खारिज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई अपीलों के बावजूद, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को इस परिसर के सर्वेक्षण का आदेश दिया गया, जिसने जनवरी 2024 में अपने निष्कर्षों के माध्यम से सच्चाई को उजागर किया।

 

विक्रम संपत की यह नवीनतम पेशकश इस विवादित स्थल के लंबे इतिहास और इस प्राचीन मंदिर के विचित्र अतीत में आए नाटकीय मोड़ और बदलावों की याद दिलाती है। ज्ञान वापी में लंबे समय से दबे हुए रहस्यों को अंततः इस पुस्तक के माध्यम से आवाज मिलती है।

Buy on Amazon

Share

Meet The Author

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “प्रतीक्षा शिव की ज्ञान वापी काशी के सत्य का उद्घाटन”

Your email address will not be published. Required fields are marked *